पहली बार नॉन कमिशन्ड रैंक में महिलाओं की भर्ती, 20% होगी महिला जवानों की संख्या

6 जनवरी 2020 भारतीय सेना के लिए ऐतिहासिक तारीख बन गई है। इस दिन सेना के नॉन कमीशंड पदों पर भर्ती के लिए 99 महिलाओं के पहले बैच की ट्रेनिंग शुरू हुई है। सेना पुलिस में महिलाओं की जवान के तौर पर पहली बार भर्ती की जा रही है। अभी तक महिलाएं सिर्फ अधिकारी के तौर पर भर्ती की जाती हैं। भारतीय सेना में महिलाओं के प्रतिशत पर यदि नजर डालें तो 14 लाख सशस्त्र बलों के 65,000 अधिकारियों के कैडर में थल सेना में 1500, वायुसेना में 1600 और नौसेना में मात्र 500 ही महिलाएं हैं। सेना का लक्ष्य मिलिट्री पुलिस कैडर में महिलाओं की संख्या 20 प्रतिशत करना है। इसी क्रम में कॉर्प्स ऑफ मिलिट्री पुलिस (सीएमपी) में 99 महिलाओं के पहले बैच की ट्रेनिंग शुरु की गई है।


भारतीय सेना के इतिहास की यदि बात करें तो 15 जनवरी 1949 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान ली थी। करियप्पा भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ के साथ फील्ड मार्शल की रैंक हासिल करने वाले पहले ऑफिसर बन गए थे। इसलिए 15 जनवरी को हर साल आर्मी डे के रूप में मनाया जाता है। उस वक्त भारतीय थल सेना में करीब 2 लाख सैनिक थे। आज यह संख्या 17 लाख से भी ज्यादा है बावजूद इसके सेना में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है। नॉन कमिशन्ड रैंक में महिलाओं की भर्ती को बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप विभिन्न चरणों में तकरीबन 1,700 महिलाओं को सीएमपी में शामिल करने की बात गर्वनमेंट सेंक्शन लेटर (जीएसएल) में कही गई है। यानी आने वाले समय में थल सेना में महिलाओं के लिए सुनहरे अवसर मिलने की संभावना है। ऐसे में आर्मी डे के अवसर पर कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना (रिटायर्ड) बता रहे हैं किस तरह सेना पुलिस में महिलाएं कॅरिअर बनाने के साथ देश सेवा में बढ़-चढ़कर भाग ले सकती हैं।


वर्तमान में थल सेना में तकरीबन 3.8 फीसदी महिलाएं ही शामिल हैं




  1. नियम-कायदों के उल्लंघन को रोकने, शांति बनाने के साथ सेना के संचालन तक की निभाएंगी भूमिका


     


    मिलिट्री पुलिस के ऊपर छावनी क्षेत्रों, सैन्य प्रतिष्ठानों की निगरानी की जिम्मेदारी होती है, जिससे कि सैनिकों की ओर से नियमों के उल्लंघन की घटनाएं रोकी जा सकें। इन पर युद्ध और शांति, दोनों ही स्थितियों में सैनिकों और साजो-सामान के मूवमेंट की जिम्मेदारी भी होती है। युद्ध बंदियों का जिम्मा भी मिलिट्री पुलिस के ऊपर ही होता है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर ये सिविल पुलिस की मदद भी करती है। अब यह सारी जिम्मेदारियां महिलाएं भी निभाएंगी।


     




  2. सोल्जर जनरल ड्यूटी के लिए देना होगा कॉमन एंट्रेंस एग्जामिनेशन


     


    अभी तक इंडियन आर्मी के मेडिकल, लीगल, एजुकेशनल, सिग्नल्स, इंजीनियरिंग जैसे टेक्निकल और नॉन टेक्निकल सेक्शन्स में महिलाओं की भर्ती यूपीएससी द्वारा आयोजित शाॅर्ट सर्विस कमिशन के जरिए की जाती है, लेकिन अब सीईई के जरिए सोल्जर जनरल ड्यूटी में भी महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए पहले फिजिकल मेजरमेंट टेस्ट (एफएमटी), फिजिकल फिटनेस टेस्ट (एफएफटी), कॉमन एंट्रेंस एग्जाम (सीईई) और मेडिकल एग्जामिनेशन (एमई) देना होगा। मान्यता प्राप्त संस्थान से कक्षा 10वीं /एसएसएलसी/मैट्रिक में 45 फीसदी अंक हासिल करने वाली महिलाएं इसके लिए पात्र हैं। इसके अलावा आवेदकों की उम्र 17.5 साल से 21 वर्ष होनी चाहिए।


     




  3. सभी टेस्ट्स के लिए यह है योग्यता


     


    एफएमटी के लिए 152 सेमी हाइट और 05 सेमी चेस्ट एक्पेंशन होना चाहिए। एफएफटी के लिए 7 मिनट 30 सेकंड में 1.6 किमी की रेस, 10 फीट लॉन्ग जंप और 3 फीट हाई जंप पूरी करनी होगी। मेडिकली फिट आवेदक सीईई के लिए पात्र होंगे। वहीं पूरी तरह फिट न होने पर कैंडिडेट्स को स्पेशलिस्ट रिव्यू के लिए भेजा जाएगा। रिव्यू में फिट घोषित होने पर ही सीईई का एडमिट कार्ड दिया जाएगा। वहीं रिटर्न टेस्ट की बात करें तो इसमें जनरल नॉलेज, जनरल साइंस और मैथेमैटिक्स से क्रमश: 15, 20, 15 सवाल पूछे जाएंगे। कुल 100 अंकों के इस पेपर को हल करने के लिए 60 मिनट का समय दिया जाएगा।


     




  4. इंडियन आर्मी में पहली बार 1888 में हुई थी महिलाओं की भर्ती


     


    1888 में ब्रिटिश राज के दौरान इंडियन मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (आईएमएनएस) में महिलाओं की भर्ती हुई थी। यह पहला मौका था जब महिलाओं को आईएमएनएस के जरिए इंडियन आर्मी में शामिल किया गया था। इंडियन गवर्नमेंट्स आर्मी रिक्रूटमेंट सर्विस के अनुसार 1992 में पहली बार महिलाओं को नॉन-मेडिकल रोल में शामिल किया गया था। वहीं संयुक्त राष्ट्र के लिए पहली ऑल-फीमेल पीस कीपिंग फोर्स 105 भारतीय महिलाओं से बनी थी, जो 2007 में लाइबेरिया में तैनात की गई थी। यह भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपनी तरह की पहली फोर्स थी।